सचिन तेंदुलकर के प्रसिद्ध शब्द “मैं खेलेगा” के पीछे की पूरी कहानी
“Main Khelega” Sachin Tendulkar Story in Hindi: “मैं खेलेगा” सचिन तेंदुलकर के मुंह से निकले मुंबईया भाषा के ये दो शब्द इतिहास बन जाएंगे किसने सोचा था। इसके पीछे की कहानी नवजोत सिंह सिद्धू अपने इंटरव्यूज और स्पीचेज में अपने अनोखे अंदाज में कई बार सुना चुके हैं।
ये किस्सा इतना मोटिवेशनल था की बड़े बड़े मोटिवेशनल स्पीकर्स ने इसे हाथों हाथ लिया। लोगों को मोटिवेट करने के लिए अक्सर वो अपनी स्पीचेज में इस किस्से का जिक्र करते हैं।
13 दिसंबर 1989 भारत का पाकिस्तान दौरे के चौथे टेस्ट का चौथा दिन, जगह जिन्नाह स्टेडियम, सियालकोट, पाकिस्तान। पहली पारी में 84 रनों की बढ़त लेने के बाद भारत सिर्फ 38 रन पर 4 विकेट गंवा चुका था।
क्रिस श्रीकांत, रवि शास्त्री, संजय मांजरेकर और मोहम्मद अजहरुद्दीन जैसे दिग्गज बल्लेबाजों को पाकिस्तानी पेस अटैक पवेलियन की राह दिखा चुका था। पाकिस्तान के तेज गेंदबाज अपनी पीक पर थे, वसीम अकरम, वकार यूनुस और इमरान खान सभी 150 kmph से ज्यादा गति से गेंद फेंकने में सक्षम।
ऊपर से हरी घांसों वाली तेज विकेट। गेंद इतनी हरकत कर रही थी की अनुभवी बल्लेबाज भी ज्यादा देर टिक न पाए। ऐसे हालात में भारत ने 16 साल के एक बच्चे को मैदान पर उतारा।
नाम था सचिन रमेश तेंदुलकर जो अपने डेब्यू टेस्ट सीरीज का चौथा मैच खेल रहा था। हालांकि उन्हें मार्गदर्शन देने के लिए सीनियर बल्लेबाज सिद्धू पहले से ही क्रीज पर मौजूद थे जिन्हें मैच से ज्यादा सचिन की चिंता थी।
वसीम अकरम की कुछ गेंदों से बचने के बाद सचिन तेंदुलकर का सामना उस समय के सबसे तेज गेंदबाज वकार यूनुस से हुआ। वकार ने एक तेज बाउंसर फेंकी, गेंद इतनी सटीक थी की सचिन उसे बच नहीं पाए।
चूंकि उस समय लोहे की ग्रिल वाले हेलमेट नहीं हुआ करते थे इसलिए गेंद सीधी सचिन की नाक पर जा लगी। सचिन बार बार अपनी नाक को छूने लगे।
काफी तेजी से खून बह रहा था जिससे शर्ट, ग्लव्स, जमीन हर जगह खून नजर आ रहा था। दूसरे छोर पर खड़े सिद्धू, पाकिस्तानी खिलाड़ी, अंपायर्स सभी उनके पास एक एक कर जमा हो गए।
टीम के फिजियो भी मैदान पर आ चुके थे। उन्होंने मैदान पर ही सचिन को प्राथमिक उपचार दिया। उस वक़्त सभी को लग रहा था की घायल होने के कारण सचिन मैदान के बहार चले जाएंगे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सिद्धू ने सचिन को रिटायर्ड हर्ट के चलते बाहर जाने को नसीहत दी। शायद वो चाहते थे कि तेज गेंदबाज का स्पैल खत्म होने के बाद सचिन मैदान पर वापस लौट आएं।
सलाह देकर सिद्धू नॉन स्ट्राइकर एंड पर मुड़ जाते हैं तभी पीछे से उन्हें एक आवाज सुनाई देती है “मैं खेलेगा”। ये आवाज थी सचिन तेंदुलकर की जो सिर्फ दो शब्दों से अपना इरादा जाहिर कर रहे थे की मैदान छोड़कर वो कहीं नहीं जाने वाले।
इन दो शब्दों से मानो वो ऐलान कर रहे थे की क्रिकेट इतिहास के अनेक रिकॉर्ड्स में अपना नाम न दर्ज करवा ले तब तक वो खेलेंगे। चोट लगने के बाद बजाए दबाव में आने के वो बहादुरी से अपना खेल दिखा रहे थे।
नाक पर बंधी पट्टी के सहारे वो शाम तक मैदान पर डटे रहे। चौथे दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने आगे कोई विकेट नहीं गंवाया। पांचवे दिन सचिन ने अपना टेस्ट कैरियर का दूसरा अर्धशतक बनाया।
कुछ समय बाद 57 के निजी स्कोर पे इमरान खान ने उन्हें अपना शिकार बनाया। सचिन तेंदुलकर की पारी को बदौलत पाकिस्तान गेम में वापसी नहीं कर सका।
सचिन और सिद्धू की 101 रनों की पार्टनरशिप के कारण भारत मैच ड्रॉ करवाने में कामयाब रहा। भले ही मैच का कोई नतीजा नहीं निकला, लेकिन इस मैच को क्रिकेट जगत में सचिन तेंदुलकर की दस्तक के तौर पर याद किया जाता है।